के बारे में जानते भी हों। लेकिन सच्चाई यह है कि उन्होंने एक नहीं, बल्कि कुल 15 असत्य बोले थे।
कहते हैं कि गुरु द्रोण का का वध करने के लिए श्रीकृष्ण के कहने पर धर्मराज युधिष्ठिर ने एक असत्य बोला था। उन्होंने गुरु द्रोण से यह असत्य कहा था कि अश्वत्थामा मारा गया, जबकि अश्वत्थामा नाम का एक हाथी युद्ध में मारा गया था।
यह धर्मराज युधिष्ठिर द्वारा बोला गया एक ऐसा असत्य है, जिसके बारे में कई लोग जानते हैं। इस असत्य को आधा सच, आधा झूठ भी कहा जाता है। लेकिन इसके अलावा भी उन्होंने 14 और असत्य बोले थे।
महाभारत का अज्ञातवास अध्याय काफी प्रसिद्ध है। यह वह समय था जब सभी पाण्डवों को अपना राजपाट छोड़ एक वर्ष के लिए जाना पड़ा। उनके साथ द्रौपदी भी थीं।इस अज्ञातवास के दौरान वे लोग राजा विराट के यहां निवास करने पहुंचे। जब राजा विराट ने उनका परिचय बताने को कहा, तो अपनी पहचान छुपाने के लिए उस समय धर्मराज युधिष्ठिर ने कुल 7 असत्य बोले थे। अपना परिचय देते हुए युधिष्ठिर ने कहा, “मेरा नाम कनक है, मैं एक ब्राह्मण हूं। मैं वैयघरा नाम के ब्राह्मण परिवार से सम्बधित हूं। मैं धर्मराज युधिष्ठिर का मित्र हूं। मैं पाशे खेलने में बहुत कुशल हूं। मैं सुदूर एक नगर (काल्पनिक नाम) से आया हूं।“उन्होंने राजा विराट को अपने परिवार के बारे में भी असत्य जानकारी प्रदान की। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने भाईयों का परिचय देते हुए भी असत्य ही कहा।उन्होंने सभी के असत्य नाम बताए। इस तरह धर्मराज युधिष्ठिर ने 5 असत्य और बोले। नाम बताने के बाद उन्होंने कहा, कि इन लोगों से मेरा कोई नजदीकी रिश्ता नहीं है, और ये केवल मेरे परिचित है। इस प्रकार धर्मराज ने 2 असत्य और बोल दिए।अंतिम असत्य बोलते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें कई राजाओं के दरबार में काम करने का अनुभव है। महाभारत ग्रंथ में यह सारा वार्तालाप दर्ज है। राजा विराट ने उनसे क्या-क्या प्रश्न किए और स्वयं तथा अपने परिवार को बचाने के लिए उन्होंने आगे से कितने असत्य बोले, इसका उल्लेख मिलता है। - स्लाइड शो द्वारा Gulneet Kaur
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