रविवार, 30 अक्टूबर 2016

छोटी दिवाली नरक चतुर्दशी क्या,क्यों और कैसे मनाते है ?

क्या:- नरक चतुर्दशी का त्योहार हर साल कार्तिक कृष्ण चतुदर्शी को मनाया जाता है। यह दीपावली के एक दिन पहले मने जाती है , चतुर्दशी तिथि को छोटी दीपावाली के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन प्रातः काल स्नान करके यम तर्पण एवं शाम के समय दीप दान का बड़ा महत्व है .
क्यों :- कारण 1 


एक हिरण्यगभ नामक एक राजा थे | उन्होंने राज पाठ छोड़कर तप में अपना जीवन व्यतीत करने का निर्णय किया |उन्होंने कई वर्षो तक तपस्या की, लेकिन उनके शरीर पर कीड़े लग गए | उनका शरीर मानों सड़ गया | हिरण्यगभ को इस बात से बहुत दुःख तब उन्होंने नारद मुनि से अपनी व्यथा कही | तब नारद मुनि ने उनसे कहा कि आप योग साधना के दौरान शरीर की स्थिती सही नहीं रखते इसलिए ऐसा परिणाम सामने आया | तब हिरण्यगभ ने इसका निवारण पूछा | तब नारद मुनि ने उनसे कहा कि कार्तिक मास कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन शरीर पर लेप लगा कर सूर्योदय से पूर्व स्नान करे साथ ही रूप के देवता श्री कृष्ण की पूजा कर उनकी आरती करे, इससे आपको पुन : अपना सौन्दर्य प्राप्त होगा |
इन्होने वही किया अपने शरीर को स्वस्थ किया | इस प्रकार इस दिन को रूप चतुर्दशी (Roop Chaudas) भी कहते हैं |इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता हैं :यह दिन दिवाली के एक दिन पहले मनाया जाता हैं | इसमें भी दीप दान किये जाते हैं | द्वार पर दीपक लगाये जाते हैं | उतनी ही धूमधाम के साथ खुशियों के साथ घर के सभी सदस्यों के साथ त्यौहार मनाया जाता हैं | इसी कारण इसे छोटी दीवाली कहते हैं |
क्यों :- कारण 2

पुराणों की कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी तिथि को नरकासुर नाम के असुर का वध किया। नरकासुर ने 16 हजार कन्याओं को बंदी बना रखा था।
नरकासुर का वध करके श्री कृष्ण ने कन्याओं को बंधन मुक्त करवाया। इन कन्याओं ने श्री कृष्ण से कहा कि समाज उन्हें स्वीकार नहीं करेगा अतः आप ही कोई उपाय करें। समाज में इन कन्याओं को सम्मान दिलाने के लिए सत्यभामा के सहयोग से श्री कृष्ण ने इन सभी कन्याओं से विवाह कर लिया।
नरकासुर का वध और 16 हजार कन्याओं के बंधन मुक्त होने के उपलक्ष्य में नरक चतुर्दशी के दिन दीपदान की परंपरा शुरू हुई। एक अन्य मान्यता के अनुसार नरक चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान करके यमराज की पूजा और संध्या के समय दीप दान करने से नर्क के यतनाओं और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। इस कारण भी नरक चतु्र्दशी के दिन दीनदान और पूजा का विधान है।
कैसे :-


नरक चतुर्दशी पूजन विधि (Narak chaturdashi puja vidhi)

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