शुक्रवार, 11 नवंबर 2016

कार्तिक पूर्णिमा कब क्या क्यों कैसे ?

 
  इस 14 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा है, हिंदू धर्म में इस दिन की काफी मान्यता है। इसे कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है। इस पुर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा की संज्ञा इसलिए दी गई है क्योंकि इस दिन ही भगवान शंकर ने त्रिपुरासुर नामक महाभयानक असुर का अंत किया था और वे त्रिपुरारी के रूप में पूजित हुए थे।ऐसी मान्यता है कि इस दिन कृतिका में शिव शंकर के दर्शन करने से सात जन्म तक व्यक्ति ज्ञानी और धनवान होता है। इस दिन चन्द्र जब आकाश में उदित हो रहा हो उस समय शिवा, संभूति, संतति,
प्रीति, अनुसूया और क्षमा इन छ: कृतिकाओं का पूजन करने से शिव जी की प्रसन्नता प्राप्त होती है।पूर्णिमा यानि चन्द्रमा की पूर्णअवस्था। पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा ठीक 180 अंश पर होता है। उस दिन चन्द्रमा से जो किरणें निकलती है वह काफी सकारात्मक होती है और वह किरणें सीधे दिमाग पर असर डालती है। चूंकि चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे अधिक नजदीक है, इसलिए पृथ्वी पर सबसे ज्यादा प्रभाव चन्द्रमा का ही पड़ता है।जिस कारण पूर्णिमा वाले दिन हर मनुष्य को अपनी मानसिक उर्जा में वृद्धि करने के लिए चन्द्र को अर्घ्य देकर स्तुति करनी चाहिए.


कब :-
14th November 2016 (Monday)
पूर्णिमा प्रारंभ  = 23:17 on 13/Nov/2016
पूर्णिमा अंत  = 19:22 on 14/Nov/2016

>>कार्तिक पूर्णिमा के महत्व और उपाय लक्ष्मी होगी प्रसन्न!
पूरे दिन उपवास:- रखकर एक समय भोजन करना चाहिए इस दिन पूरे दिन उपवास रखकर एक समय भोजन करना चाहिए। अपनी सामर्थ्य अनुसार गाय का दूध, केला, खजूर, नारियल, अमरूद आदि फलों का दान करना चाहिए। ब्राहम्ण, बहन, बुआ आदि को कार्तिक पूर्णिमा के दिन दान करने से अक्षय पुण्य मिलता है। शाम के समय निम्न मन्त्र से वसंतबान्धव विभो शीतांशो स्वस्ति नः कुरू'' चन्द्रमा को अर्घ्य देना चाहिए।

कैसे करें कार्तिक पूर्णिमा में गंगा स्नान:- कार्तिक पूर्णिमा की स्नान के सम्बन्ध में ऋषि अंगिरा ने लिखा है-इस दिन सबसे पहले हाथ-पैर धो लें फिर आचमन करके हाथ में कुशा लेकर स्नान करें। यदि स्नान में कुश और दान करते समय हाथ में जल व जप करते समय संख्या का संकल्प नहीं किया जाये तो कर्म फलों से सम्पूर्ण पुण्य की प्राप्ति नहीं होती है। दान देते समय जातक हाथ में जल लेकर ही दान करें।


क्या करें:- कार्तिक पूर्णिमा के दिन भविष्य पुराण के अनुसार वैशाख, माघ और कार्तिक माह की पूर्णिमा स्नान-दान के लिए श्रेष्ठ मानी गई है। इस पूर्णिमा में जातक को नदी या अपने स्नान करने वाले जल में थोड़ा सा गंगा जल मिलाकर स्नान करना चाहिए तत्पश्चात भगवान विष्णु का विधिवत पूजन व अर्चज करना चाहिए।

कैसे करे :-
  • अगर संभव हो तो इस दिन हर जातक को गंगा स्नान करना चाहिए।
  • स्नान के बाद उसे भगवान विष्णु की पूजा-आरती करनी चाहिए। 
  • इस दिन जातक को उपवास रखना चाहिए या फिर एक समय ही भोजन करना चाहिए।
  • नमक का सेवन ना करें इस दिन और हो सके तो ब्राह्मणों को दान दें और उन्हें भोजन कराएं।
  • शाम के समय निम्न मंत्र से चन्द्रमा को अर्घ्य देना चाहिए
  • "वसंतबान्धव विभो शीतांशो स्वस्ति न: कुरु"


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