आत्मा परमात्मा का अंश है यह तो सर्विविदित है
इस सम्बन्ध में शंका या संशय,अविश्वास की स्थिति अधिक क्रियमान होती है तभी हमारी दूरी बढती जाती
है और हम विभिन्न रूपों से अपने को सफल बनाने का निरर्थक प्रयास करते रहते हैं जिसका परिणाम नाकारात्मक ही होता है |
ये तो असंभव सा जान पड़ता है-मिटटी के बर्तन मिटटी से अलग पहचान बनाने की कोशिश करें तो कोई क्या कहे ? यह विषय विचारणीय है |
अध्यात्म की अनुभूति सभी प्राणियों में सामान रूप से निरंतर होती रहती है | स्वयं की खोज तो सभी कर रहे हैं,परोक्ष व अपरोक्ष रूप से |
परमात्मा के असीम प्रेम की एक बूँद मानव में पायी जाती है जिसके कारण हम उनसे संयुक्त होते हैं किन्तु कुछ समय बाद इसका लोप हो जाता है और हम निराश हो जाते हैं,सांसारिक बन्धनों में आनंद ढूंढते ही रह जाते हैं परन्तु क्षणिक ही ख़ुशी पाते हैं |
बहानाइटीस : कंही आप भी तो बहाने नहीं बनते ? सफलता का राज !
जब हमें सत्य की समझ आती है तो जीवन का अंतिम पड़ाव आ जाता है व पश्चात्ताप के सिवाय कुछ हाथ नहीं लग पाता | ऐसी स्थिति का हमें पहले ही ज्ञान हो जाए तो शायद हम अपने जीवन में पूर्ण आनंद की अनुभूति के अधिकारी बन सकते हैं |हमारा इहलोक तथा परलोक भी सुधर सकता है |
अब प्रश्न उठता है की यह ज्ञान क्या हम अभी प्राप्त कर सकते हैं ? हाँ ! हम अभी जान सकते हैं की अंत समय में किसकी स्मृति होगी, हमारा भाव क्या होगा ? हम फिर अपने भाव में अपेक्षित सुधार कर सकेंगे | गीता के आठवें अध्याय श्लोक संख्या आठ में भी बताया गया है
यंयंवापि स्मरन्भावं त्यजत्यन्ते कलेवरम् |
तं तमेवैति कौन्तेय सदा तद्भाव भावितः ||
अर्थात-"हे कुंतीपुत्र अर्जुन ! यह मनुष्य अन्तकाल में जिस-जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर का त्याग करता है, उस-उस को ही प्राप्त होता है ;क्योंकि वह सदा उसी भाव से भावित रहता है |"
एक संत ने इसे बताते हुए कहा था की सभी अपनी अपनी आखें बंद कर यह स्मरण करें की सुबह अपनी आखें खोलने से पहले हमारी जो चेतना सर्वप्रथम जगती है उस क्षण हमें किसका स्मरण होता है ?
आत्मविश्वास पर अदभुत कविता Self-confidence Bdhaye!
कदाचित अगर किसी की बीमारी के कारण या अन्य कारण से बेहोशी की अवस्था में मृत्यु हो जाती है तो दीनबंधु भगवान् उसके नित्य प्रति किये गए इस छोटे से प्रयास को ध्यान में रखकर उन्हें स्मरण करेंगे और
उनका उद्धार हो जाएगा क्योंकि परमात्मा परम दयालु हैं जो हमारे छोटे से छोटे प्रयास से द्रवीभूत हो जाते हैं |
ये विचार मानव-मात्र के कल्याण के लिए समर्पित है |
सत्यम शिवम् सुन्दरम
Read More ! कुछ और अच्छा पढना है मुझ पर क्लीक करो !
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